The Ultimate Guide To Shodashi

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सोलह पंखड़ियों के कमल दल पर पद्दासन मुद्रा में बैठी विराजमान षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी मातृ स्वरूपा है तथा सभी पापों और दोषों से मुक्त करती हुई अपने भक्तों तथा साधकों को सोलह कलाओं से पूर्ण करती है, उन्हें पूर्ण सेवा प्रदान करती है। उनके हाथ में माला, अंकुश, धनुष और बाण साधकों को जीवन में सफलता और श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। दायें हाथ में अंकुश इस बात को दर्शाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मदोषों से परेशान है, उन सभी कर्मों पर वह पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर उन्नति के पथ पर गतिशील हो और उसे जीवन में श्रेष्ठता, भव्यता, आत्मविश्वास प्राप्त हो। इसके आतिरिक्त शिष्य के जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, शत्रु, बीमारी, गरीबी, अशक्ता सभी को दूर करने का प्रतीक उनके हाथ में धनुष-बाण है। वास्तव में मां देवी त्रिपुर सुन्दरी साधना पूर्णता प्राप्त करने की साधना है।

Quite a few great beings have worshipped components of Shodashi. The nice sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali during his entire existence, and at its culmination, he paid homage to Shodashi as a result of his possess spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in viewing the divine in all beings, and particularly his lifetime partner.

Her illustration will not be static but evolves with artistic and cultural influences, reflecting the dynamic character of divine expression.

Shodashi is deeply connected to the path of Tantra, where she guides practitioners toward self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she is celebrated as the embodiment of Sri Vidya, the sacred awareness that brings about enlightenment.

The supremely gorgeous Shodashi is united in the heart from the infinite consciousness of Shiva. She eliminates darkness and bestows light. 

ह्रीं‍मन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।

सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥

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ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

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